जो हम विश्वास करते हैं

विश्वास कथन

  1. परमेश्वर एकमात्र सच्चा और जीवित परमेश्वर है जो तीन व्यक्तियों, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में हमेशा के लिए विद्यमान है; और वह एक आत्मा, अनंत, शाश्वत, अपने प्रेम, दया, शक्ति, ज्ञान और धार्मिकता में अपरिवर्तनीय है। (यशायाह 45:22, भजन संहिता 90:2; यूहन्ना 4:24; 2 कुरिन्थियों 13:14)
  2. प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है; कि वह अपने कुँवारी जन्म के द्वारा देहधारण किया कि वह अपने ईश्वरत्व और मानवत्व दोनों में सिद्ध है; कि उसने स्वेच्छा से अपना जीवन मनुष्य के पापों के लिए पूर्ण और पर्याप्त प्रतिस्थापन बलिदान के रूप में दे दिया; कि उसके प्रायश्चित के द्वारा मनुष्य पाप के दण्ड, दोष और प्रभाव से मुक्ति को जान सकता है; कि वह अपने भौतिक, महिमामय शरीर में मरे हुओं में से जी उठा, जिसके साथ वह अब स्वर्ग में विराजमान है, विश्वासियों के लिए विनती करता है; और यह कि वह अपने महिमामय शरीर में अपना राज्य स्थापित करने के लिए फिर से आ रहा है। (मत्ती 1ः18-25ः यूहन्ना 1ः14; कुलुस्सियों 1ः13-18; 1 पतरस 2ः24; लूका 24; इब्रानियों 4ः14ः मत्ती 25ः31-46)
  3. पवित्र आत्मा हर गुण में पिता परमेश्वर और पुत्र परमेश्वर के साथ समान है; मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करने वालों में नया जन्म का चमत्कार करता है और अब विश्वासियों में वास करता है; उन्हें छुटकारे के दिन तक मुहर कर देता है; उन्हें सेवा के लिए सशक्त बनाता है; और मसीह की देह के निर्माण के लिए अनुग्रह (चमत्कारी वरदान) के उपहार देता है। (इफिसियों 4:30; 1 कुरिन्थियों 619; 12:4, 7, 12-13; प्रेरितों के काम 1:5; तीतुस 3:5)
  4. पवित्र आत्मा हर गुण में पिता परमेश्वर और पुत्र परमेश्वर के साथ समान है; मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करने वालों में नया जन्म का चमत्कार करता है और अब विश्वासियों में वास करता है; उन्हें छुटकारे के दिन तक मुहर कर देता है; उन्हें सेवा के लिए सशक्त बनाता है; और मसीह की देह के निर्माण के लिए अनुग्रह (चमत्कारी वरदान) के उपहार देता है। (इफिसियों 4:30; 1 कुरिन्थियों 619; 12:4, 7, 12-13; प्रेरितों के काम 1:5; तीतुस 3:5)
  5. कलीसिया पृथ्वी पर मसीह की संयुक्त देह है जो कि संगति, उन्नति, और मसीही जीवन और गवाह के माध्यम से सभी देशों में सुसमाचार पहुँचाने के लिए मौजूद है। (मत्ती 28:19-20; प्रेरितों के काम 1:6-8, 2:41-42; 1 कुरिन्थियों 12:13)
  6. परमेश्वर के स्वरूप में मनुष्य की सृष्टि की गई थी लेकिन आदम के पाप के कारण वह परमेश्वर से अलग हो गया और अनन्त दंड का भागी हो गया। मनुष्य की स्थिति का एकमात्र उपाय यीशु मसीह के व्यक्ति और कार्य में व्यक्तिगत विश्वास के द्वारा उद्धार है। (यूहन्ना 3ः15-18; इफिसियों 1ः7; रोमियों 10ः9-10)
  7. अपतित स्वर्गदूतों, पतित स्वर्गदूतों और दुष्टात्माओं सहित परिमित अलौकिक व्यक्तिगत प्राणी मौजूद हैं। पतित स्वर्गदूतों का अगुवा शैतान, परमेश्वर और मनुष्य का खुला और घोषित शत्रु है, और आग की झील के लिए अभिशप्त है। (इब्रानियों 1ः4-14; यहूदा 6; मत्ती 25ः41; प्रकाशितवाक्य 20ः10)
  8. बचाए गए और खोए हुए दोनों का शारीरिक पुनरुत्थान होगाः वे जो अनन्त जीवन के लिए बचाए गए हैं, और वे जो अनन्त दण्ड के लिये खो गए हैं। (1 कुरिन्थियों 15; दानिय्येल 12ः1-2; यूहन्ना 5ः28-29; 2 थिस्सलुनीकियों 1रूः7; मत्ती 5ः1-10)
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