विशवास के साथ आशा का संबंध

Teaching Legacy Letter
*First Published: 2017
*Last Updated: दिसंबर 2025
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अंग्रेजी भाशा में एक शक्तिशाली शब्द आपको जीवन पर एक पूरी तरह नया दृब्टिकोण दे सकता है। वह शब्द “आशा” है। आशाहीन होने से बढ़कर मैं शायद ही किसी और दुख के बारे में सोच सकता हूँ। फिर भी आज मसीहियों सहित दुनिया के लाखों लोगों की यही स्थिति है। परमेशवर के वचन से सुसमाचार यह हैः आशा आशाहीनता पर विजय लाती है! यही कारण है कि मैंने इस विषय को हमारी पाँच–भाग की शिक्षण विरासत श्रृंखला के लिए चुना हैः आशा।
कई साल पहले, मैंने स्वयं को आशा की सख्त ज़रूरत में पाया। उस स्थिति में, पवित्र आत्मा मुझे सीधे धर्मशास्त्र में ले गया और वहाँ उसने मेरी ज़रूरत पूरी की। यदि आज आपकी यही स्थिति है, तो यह श्रृंखला आपके लिए है। आप एक बार फिर वास्तविक आशा का अनुभव कर सकते हैं। मुझे विशवास है कि ये संदेश आपको यह समझने में मदद करेंगे कि आशा कितनी महत्वपूर्ण है, और सबसे अधिक, आप इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं।
तीन स्थाई सच्चाईयाँ
इस श्रृंखला के भाग 1 में हमने तीन शाश्वत वास्तविकताओं की जाँच करके हमने अपनी चर्चा शुरू की थी। इस जीवन में हम जो कुछ अनुभव करते हैं, वह आत जाता है, लेकिन तीन आत्मिक वास्तविकताएँ हैं जो हमेशा बनी रहती हैं विशवास, आशा और प्रेम। 1 कुरिन्थियों 13:13 में पौलुस उन्हें संदर्भित करता है:
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।
हमने इनमें से प्रत्येक गुण की कुछ विशेषताओं की भी खोज की है। विश्वास को कार्य, या काम का उत्पादन करना चाहिए, क्योंकि कार्य के बिना, यह एक मृत विश्वास है। विश्वास की प्राथमिक विशेषता यह है कि यह कार्य करता है। प्रेम श्रम उत्पन्न करता है; दूसरों की ओर से कठिन, बलिदानी, स्वयं को उँडेलने वाला कार्य करते हैं। प्रेम केवल सभ्य धार्मिक ठप्पे का उपयोग नहीं करता है; प्रेम अपनी आस्तीन ऊपर चढ़ाता है और वहाँ काम करता है, जहाँ काम सबसे कठिन होता है। जब हम आशा की मुख्य विशेषताओं के बारे में सोचते हैं, तो हम आशा के लिए तीन शब्दों का उपयोग कर सकते हैंः स्थिरता, धीरज और दृढ़ता।
विश्वास कार्य उत्पन्न करता है। प्रेम श्रम उत्पन्न करता है। आशा स्थिरता, धीरज और दृढ़ता उत्पन्न करती है। वास्तव में, यदि आपके पास दृढ़ता नहीं है जिसकी आपूर्ति आशा करती है तो बहुत संभावना है कि आप अन्य दो-विश्वासों और प्रेम के लाभों को खो दें।
आशा की प्रकृति
हमने अपने पिछले पाठ में हमने आशा की दो अन्य पहलुओं पर भी विचार किया था। पहले हमने यह प्रश्न कियाः हमारे पास आशा कैसे आती है? 1 पतरस 1:3 में पतरस हमें उत्तर देता हैः
हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।
आशा, यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा नया जन्म पाने का प्रत्यक्ष परिणाम है। यह नया जन्म है जो हमें एक जीवित आशा में लाता है। हम किसी मृत धर्मविज्ञान या सिद्धांत में नया जन्म नहीं पाए हैं, लेकिन यीशु मसीह के पुनरुत्थान के आधारित एक जीवंत, ज्वलंत प्रत्याशा में हैं। जब यीशु मरे हुओं में से जी उठे, तो यह निराशा पर आशा की अंतिम जीत थी !
दूसरी, हमने देखा कि हमारी आशा का अवश्य ही एक लक्ष्य होना चाहिए यह अवश्य ही किसी बात पर केंद्रित होनी चाहिए। 1 पतरस 1:13 में हम यह पढ़ते हैं:
इस कारण अपनी अपनी बुद्धि की कमर बान्धकर, और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आषा रखो, जो यीषु मसीह के प्रगट होने के समय तुम्हें मिलनेवाला है।
हम सभी एक प्रक्रिया उद्धार की प्रक्रिया – में हैं लेकिन यह अब तक पूरा नहीं हुआ है। यह यीशु मसीह के प्रकाशन के द्वारा समाप्त होगा। इस बीच हमारे लिए आदेश यह हैं कि उसके प्रकट होने पर पूरी तरह अपनी आशा लगाएँ।
इसलिए, हमारे पिछले विरासत पत्र में, हमने सीखा कि आशा आवश्यक है यह जीवित और जीवंत है- और यह कि हमारी आशा का केंद्र हमारे प्रभु यीशु मसीह का प्रकाशन या प्रकट होना है।
विश्वास और आशा
आशा के विशय पर इस भाग में, हम विश्वास और आशा के बीच संबंध का पता लगाने जा रहे हैं। वर्षों के दौरान, जैसा कि मैंने कई हजारों मसीहियों की सेवा की है, मैंने देखा है कि एक निरंतर प्रवृत्ति उभरती है। मैंने अपने ही अनुभव से पता लगाया है कि कई विश्वासी विश्वास को आशा समझते हैं और आशा को विश्वास समझते हैं।
विश्वास और आशा के बीच के संबंध पर इस खंड का परिचय देने के लिए, मुझे एक महत्वपूर्ण अंतर का संकेत देकर प्रारंभ करना चाहिएः विश्वास वर्तमान में है, आशा भविष्य में है। यदि आपके पास एक विश्वास है जो केवल भविष्य में है, तो आपको वास्तव में विश्वास नहीं है। आपके पास जो है वह आशा है। उदाहरण के लिए, जब लोग मुझसे उनके लिए प्रार्थना करने के लिए कहते हैं, तो मेरा पहला सवाल होता हैः “क्या आप मानते हैं कि परमेश्वर ऐसा कर सकते हैं?” कई बार वे जवाब देते, “मुझे विश्वास है कि वह करेंगे।” लेकिन उनकी आवाज़ में कुछ बात ने मुझे बताया, “वे वास्तव में आशा कर रहे थे कि परमेश्वर वही करेगा जो वे उससे माँग रहे थे। हमें अवश्य यह समझना चाहिए कि विश्वास के लिए प्रतिज्ञा किए गए परिणाम आशा से नहीं आते हैं। प्रत्येक महत्वपूर्ण है, लेकिन एक दूसरे के लिए विकल्प नहीं है।
विश्वास का तत्व
आइए विश्वास की इब्रानियों 11 पद 1-3 की बाइबल परिभाशा पर नजर डालें (जिसमें वैसे, आशा शब्द भी शामिल है):
अब विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय, और मन देखी वस्तुओं का प्रमाण है। क्योंकि इसी के विषय में प्राचीनों की अच्छी गवाही दी गई। विश्वास ही से हम जान जाते हैं, कि सारी सृष्टि की रचना परमेश्वर के वचन के द्वारा हुई है। यह नहीं, कि जो कुछ देखने में आता है, वह देखी हुई वस्तुओं से बना हो।
इन पदों में कई महत्वपूर्ण कथन शामिल हैं। सबसे पहले, हम ध्यान देते हैं कि विश्वास एक तत्व है। यह सिर्फ एक सिद्धांत नहीं है; यह सिर्फ धर्मविज्ञान नहीं है; यह केवल सिद्धांत नहीं है। बिना विश्वास के भी वे सब आपके पास हो सकते हैं। सचमुच, विश्वास हमारे लिए एक “तत्व” होना चाहिए। तत्व के लिए प्रयुक्त यूनानी शब्द का अर्थ है “किसी चीज़ का अंतर्निहित आधार या नींव।” पद 1 हमें बताती हैः “विश्वास ही चीजों का वह तत्व है जिसके लिए आशा की गई है।” वास्तविक होने के लिए, आशा को विश्वास पर निर्मित होना चाहिए।
हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि विश्वास उस पर आधारित है जिसे देखा नहीं जाता है। अंततः विश्वास परमेश्वर के वचन पर आधारित है। परिणामस्वरूप, विश्वास इस तथ्य को पकडे रहता है कि पूरे ब्रह्मांड को परमेश्वर के अदृश्य वचन द्वारा अस्तित्व में लाया गया था। दूसरे शब्दों में, जो हम देखते हैं, वह उससे बना था जिसे देखा नहीं जा सकता है। हमारा विश्वास परमेश्वर के वचन की अनदेखी,शाश्वत वास्तविकता पर आधारित है। बदले में, आशा विश्वास पर आधारित है।
जैसा कि मैंने पहले कहा था (लेकिन इसे फिर से कहने में कोई हानि नहीं है क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है) – विश्वास यहाँ और अभी है। विश्वास एक तत्व है, कुछ ऐसा जो हमारे पास सचमुच अभी है। लेकिन उस विश्वास के आधार पर, आशा भविश्य की ओर देखती है। दोनों में भ्रमित न हों, क्योंकि परमेश्वर ने आशा के लिए नहीं लेकिन विश्वास के लिए परिण् मों का वायदा किया है। यह महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है कि आशा तभी मान्य होती है जब वह विश्वास पर आधारित हो। इसके विपरीत विश्वास परमेश्वर के वचन पर आधारित होता है। तो अंततः विश्वास और आशा दोनों का आधार परमेश्वर का वचन है।
आशा परिभाशित
बहुत सारे लोग सोचते हैं कि उन्हें आशा है। वे उचित रूप से उस शब्द का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन “आशा” शब्द का उनका उपयोग वास्तव में उस शब्द के वचन में निहित अर्थ के अनुरूप नहीं है। आप और मैं केवल तभी यह कहने के हकदार हैं कि हमें आशा है, जब हमारी आशा विश्वास के वास्तविक और वर्तमान तत्व पर आधारित होगी। फिर हम धर्मशास्त्र “आप और मैं केवल कभी यह कहने के की पंक्तियों के साथ आशा होने की बात कर रहे हैं। किसी अन्य प्रकार की आशा केवल इच्छाधारी सोच है। हकदार हैं कि हमारे यह संभव है कि ऐसी आशा पूरी की जा सकती है, लेकिन इस बात की पास आशा है जब कोई गारंटी नहीं है। एकमात्र आशा हमारी आशा विश्वास जिसकी पूर्ति की गारंटी है वह वास्त. ‘विक विश्वास पर आधारित आशा है। के वास्तविक और तो फिर से, ध्यान रखें कि विश्वास वर्तमान तत्व पर वर्तमान में है। विश्वास एक तत्व है। आधारित होती है।”” विश्वास यहाँ और अभी है। विश्वास परमेश्वर के वचन की अनदेखी वास्तविकता पर आधारित है। फलस्वरूप आशा उस विश्वास पर आधारित है। वास्तविक विश्वास पर आधारित आशा की
की पंक्तियों के साथ आशा होने की बात कर रहे हैं। किसी अन्य प्रकार की आशा केवल इच्छाधारी सोच है। हकदार हैं कि हमारे यह संभव है कि ऐसी आशा पूरी की जा सकती है, लेकिन इस बात की पास आशा है जब कोई गारंटी नहीं है। एकमात्र आशा हमारी आशा विश्वास जिसकी पूर्ति की गारंटी है वह वास्त. ‘विक विश्वास पर आधारित आशा है। के वास्तविक और तो फिर से, ध्यान रखें कि विश्वास वर्तमान तत्व पर वर्तमान में है। विश्वास एक तत्व है। आधारित होती है।”” विश्वास यहाँ और अभी है। विश्वास परमेश्वर के वचन की अनदेखी वास्तविकता पर आधारित है। फलस्वरूप आशा उस विश्वास पर आधारित है। वास्तविक विश्वास पर आधारित आशा की पूर्ति की गारंटी है। हालाँकि, किसी भी अन्य प्रकार की आशा इच्छापूर्ण सोच से बेहतर नहीं होती है।
मुझे आशा की एक व्यक्तिगत परिभाशा जोड़ने दीजिए। इसी प्रकार मैं आशा को समझता हूँ जैसा कि बाइबल में इसका उपयोग किया गया हैः आशा अच्छा होने की एक निर्मल, आत्मविश्वास से भरपूर उम्मीद है। मुझे फिर से यह कहना है किः आशा अच्छा होने की एक निर्मल, आत्मविश्वास से भरपूर उम्मीद है। आशा निर्मल और विश्वस्त दोनों है।
आशा की खोज में
आशा का एक पहलू है जो मैंने पहले ही उल्लेख किया है, लेकिन चूँकि यह बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए मैं इसे और अधिक बारीकी से जाँचना चाहूँगा। मुझे यहाँ आशा के उस पहलू को संक्षेप में प्रस्तुत करने दीजिएः सभी सच्ची आशाओं का अंतिम केंद्र महिमा में यीशु मसीह की वापसी है। तीतुस 2:11-13 में पौलुस ने इस सत्य की पुष्टि कीः
क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों के उद्धार का कारण है। और हमें चिताता है, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भी. क्त से जीवन बिताएँ। और उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेष्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की बाट जोहते रहें।
यह अंतिम पद, पद 13, वह है जिसे आप शेषा भाग के लिए “मुख्य पंक्तियाँ” कह सकते हैं बाकी सभी की स्पष्टीकरण पहले आता है। यह क्या कहता है? धन्य आशा और हमारे महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता, मसीह यीशु की महिमा के दर्शन का इंतजार करना। हमें सभी मसीहियों की उस अंतिम आशा की तलाश में रहना है जो समय से परे और अनंत काल में विस्तार लेती है। वह धन्य आशा क्या है? यह हमारे महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता, मसीह यीशु की महिमा का दर्शन है। (ध्यान दें कि पौलुस यीशु को “हमारा महान ईश्वर” कहते हैं।)
यीशु के प्रकट होने की धन्य आशा की बाट जोहना हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करती है? उस प्रश्न का उत्तर देने के लिए, उन वचनों की ओर वापस चलें जिससे पौलुस पद 11 की शुरुआत कीः” क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुश्यों के उद्धार का कारण है।”
कृपया ध्यान दें कि अनुग्रह हमें निर्देश देता है; हमारे जीवनों में अनुग्रह का अधिकार है। यह हमें क्या करने का निर्देश देता है? “हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाशाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएँ।” हम उस तरह से क्यों जीते हैं? क्योंकि हम एक नए युग का इंतजार कर रहे हैं; हम प्रभु यीशु मसीह की वापसी की बाट जोह रहे हैं। हम उसके आने पर तैयार रहना चाहते हैं, और हम उसकी उपस्थिति के सम्मुख शर्मिंदा नहीं होना चाहते हैं।
इसलिए हम देखते हैं कि यीशु के प्रकट होने की आशा हमें भक्तिपूर्ण जीवन के लिए प्रेरित करती है। यह नया नियम में सबसे बड़ा एकल प्रेरक है। अपनी पहली पत्री में प्रेरित यूहन्ना कहते हैं, “ और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है” (1 यूहन्ना 3:3)। इस तरह की आशा से आत्म-शुद्धि होती है। यदि यह वास्तविक विश्वास के पदार्थ के आधार पर, वास्तविक आशा है तो यह हमारे जीने के तरीके को प्रभावित करेगा।
समय और अनंत काल
हम तब देख सकते हैं कि हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे प्रमाण होंगे जिन्हें वास्तव में ऐसी आशा है। ऐसा व्यक्ति अस्वाभाविकता और सांसारिक इच्छाओं को नकारने के द्वारा अपने आप को शुद्ध कर रहा है। वह व्यक्ति वर्तमान युग में समझदारी, धार्मिकता और भक्ति के साथ जी रहा है। इस तरह का व्यवहार इस आशा का पहला प्रभाव है जो यीशु मसीह की महिमा के प्रकट होने पर केंद्रित है।
दूसरा प्रभाव पहले वाले से संबंधित हैः इस आशा का होना हमें समय के बंधन से मुक्त करता है। अब हम जीवन के कुछ ही वर्षों के गुलाम नहीं हैं। हम अनंतता का इंतजार कर रहे हैं। हम आपदाओं और “समय में रहने” की परेशानियों के बारे में चिंतित नहीं होते हैं जैसा कि अन्य लोग करते हैं क्योंकि उनके पास देखने के लिए और कहीं नहीं है। वे विवश हैं; वे कुछ ही वर्षों में सीमित हो जाते हैं जो परमेश्वर उन्हें इस जीवन में देता है।
हममें से उन लोगों को जिन्हें यह महिमामय आशा है, उनके लिए ये कुछ वर्षों अनंत काल की तैयारी का दौर है। यीशु मसीह के प्रकट होने में इस आशा के होने से हमारे जीने के तरीके पर जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा। वास्तव में, जब हम उन लोगों को देखते हैं जो कहते हैं कि उनके पास यह आशा है, तो हम उनके जीने के तरीके में यही प्रमाण देखते हैं।
आप के लिए आशा
आपके बारे में क्या? यदि कोई आपसे पूछे कि क्या आपको इस तरह की आशा है, तो आप क्या कहते? क्या आपका जीवन हाँ कहेगी या न कहेगी? क्या आप समयानुसार विवश महसूस करते हैं, या आप समय से परे अनंत काल की ओर देख रहे हैं?
शायद आप अनिश्चित हैं कि उन प्रश्नों का उत्तर कैसे दिया जाए, लेकिन आप जानते हैं कि आप इस तरह की धन्य आशा में आगे बढ़ना चाहते हैं। आप जानते हैं कि आप वह आनंद और स्वतंत्रता चाहते हैं जो यह ला सकता है। यदि वास्तव में यही आपकी इच्छा है, तो इस खंड को प्रभु से निम्नलिखित प्रार्थना को एक साथ प्रार्थना करके समाप्त करें, कि हमारे पास आशा आए।
*Prayer Response
हे परमेश्वर, मुझे निष्वय नहीं है कि मुझे इस प्रकार की आशा है जिसके बारे में इस पत्र पढ़ता आ रहा हूँ। वास्तविक आशा प्राप्त करने के लिए मुझे आपकी सहायता की आवश्यकता है, ताकि मैं आप पर ध्यान केंद्रित करने, भक्तिपूर्ण जीवन के लक्ष्य को पाने और समय के बंधन से मुक्ति पाने के लिए प्रेरित हो सकूँ। अभी, मैं आपके वचन में अपना विश्वास लाता हूँ। है परमेश्वर, मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि मेरे पास आशा आने दें - और अपनी प्रार्थना का उत्तर देने के लिए मैं पहले से आपका धन्यवाद करना हूँ। यीशु के नाम में, आमीन।
कोड: TL-L115-100-HIN